“पेन्टिंग विद् आयल कलर्स“ विशिष्ट कला शिविर का भव्य शुभारम्भ

शिविर आयोजक ओमप्रकाश बिरथरे ने शिविर के विषय में बताते हुये कहा कि तैल चित्र तैल रंगो का उपयोग करके की जाने वाली एक अनूठी तकनीक है। इसके द्वारा बने हुये चित्र कालजयी होते है। जिसका लम्बा एवं समृद्ध इतिहास है। प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक समय तक तैल चित्र कलाकारों को उनकी रचनात्मकता व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम रही है। लियोनार्डो दा विंची, रम्ब्रांट और विनसेंट बानगांग, राजा रवि वर्मा जैसे विश्वप्रसिद्ध कलाकारों ने तैलचित्रकला को अपना पसन्दीदा माध्यम माना है। तैल चित्रण की शुरूआत सातवी शताब्दी में अफगान के बामियान की गुफाओं में बौद्ध कलाकारों द्वारा भित्ति चित्र बनाने में प्रथम बार प्रयोग किया गया। 15वीं शताब्दी में चित्रकला को जान बेन आइक ने एक नई ऊचाई दी और इसे एक लोकप्रिय कला तकनीक बनाने में सफल रहे। आधुनिक भारत में तैल चित्र के जनक राजा रवि वर्मा थे, जिन्होंने भारतीय पौराणिक पात्रों का जैसे राम, कृष्ण, नल-दमयन्ती आदि के चित्रों को तैल…