
संस्कार भारती इकाई ललितपुर के तत्वावधान में कार्यालय परिसर में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
इसके उपरांत घण्टाघर पर मोमबत्तियाँ जलाकर एवं दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
सभा में पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या की घोर भर्त्सना की गई तथा मारे गए 28 निर्दोष भारतीयों की आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।
साथ ही भारत सरकार से आतंकवादियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने तथा मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की माँग भी की गई।
बैठक की अध्यक्षता श्री बृज मोहन संज्ञा जी ने की तथा संचालन श्री के. के. पाठक जी द्वारा किया गया।
सभा में उपस्थित वक्ताओं ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किए:
- रमेश पाठक रवींद्र ने कहा:
“पहलगाम में धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या भारत माता एवं देश पर सीधा आक्रमण है। हमारी सेना को इसका बदला अवश्य लेना चाहिए।”
कविता: “देश के वीरो तुम्हें नमन, खून से सींचा देश चमन।” - कवि अखिलेश शांडिल्य ने कहा:
“अपने लिए शिकायत, कब तक द्वारे-द्वारे जाओगे। गांधीवादी बने रहे तो एक दिन मारे जाओगे।।” - पुरुषोत्तम नारायण पस्तोर ने कहा:
“गंगा-जमुनी भाईचारा, धर्म पूछकर हिंदू मारा।” - कवि सुदेश सोनी ने कहा:
“जब होना है आर-पार, तो हो जाए एक बार। जब मरना है एक रोज, तो हर रोज क्या मरना।।” - कवि महेश मास्साब ने आह्वान किया:
“उठो शिवा के अमर वंशजों, शस्त्रों का संधान करो। आतंकवाद का करो खात्मा, भारत का जयगान करो।।” - कवि शीलचंद शास्त्री ने कहा:
“जहरीले ज़ालिम पाक का शीघ्र तोड़ दो डंक, नापाकी नासूर है, फैलाए आतंक।।” - कवि के. के. पाठक ने कहा:
“मजहब इन्हें सिखाता है भेदभाव रखना, दूजे को कह कर काफिर फिर मारकाट करना।।”
इस अवसर पर बाबू गंधर्व सिंह लोधी, मनोज चौबे, गोविंद नारायण व्यास, के. एल. नामदेव, कृष्णकांत सोनी, सर्वेश श्रीवास्तव, पत्रकार पुष्पा झा, शिवानी झा, शिवा झा, गोपीलाल डोडवानी सहित अनेक गणमान्यजनों ने अपने विचार व्यक्त किए।
अध्यक्षता कर रहे श्री बृज मोहन संज्ञा जी ने कहा:
“भार को देखकर ‘आधार’ बदलना सीखो,
‘वक्त’ को देखकर ‘व्यवहार’ बदलना सीखो।
जिंदगी ‘ज्वार’ है हठ की, तो डूब जाओगे,
‘धार’ को देखकर ‘पतवार’ बदलना सीखो।।”
समारोह के अंत में संस्था के कोषाध्यक्ष श्री शील चन्द्र जैन ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।